शीर्षक - मनोभाव
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क्या हुआ ?
लिखो जो मन में भाव है
कविता तुम नहीं लिखते
कविताएँ तुम्हें लिखती है !!
कविताएँ बहुत चालाक होती हैं
गौर से देखती है !!
वर्षों तलाशती है !!
क्या वो बच्चा तुम हो ?
इतने विचलित क्यों हो
मन के धरातल पर
आंसुओ के भीषण वर्षा में अंकुरित होती है !!
कई सुन्दर, मिठी, कविताएँ
कोयल की कुक सी !!
मयूर के पंख सी !!
कुछ कविताएँ बहुत विषैली
मदार के दूध सी !!
जिससे फोड़ा जा सकता है
ध्रुत, कपटी की आँखें ??
कुछ कविताएँ बारूद से भरी
जिससे तोड़ा जा सकता है
गुलामी का दीवार !!
कुछ कविताएँ वेदना से भरी
जिसे प्रेमी गुनगुना सकता है !!
क्या हुआ ??
लिखो जो मन में भाव है !!
© नवीन किशोर महतो
9 जुलाई 2020
राँची ( झारखंड )
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