एक फौजी
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एक फौजी लौट रहा है
चितकबरे पोशाक में
सालों बाद गाँव फिर से
यादों के बड़े बैग में है !!
बुढ़ी माँ की एक पुरानी तस्वीर
पिता का हल ओर जुआंट
भूरा ओर एक काला बैल
सोंधी मिट्टी की खुशबु !!
बंद है घर का कुआं
प्लास्टिक के बोतल में
ट्रेन की छुक छुक आवाज !!
सहसा याद दिलाता गाँव का खेल
मुस्कराते निहार रहा अपना बैग
एक फौजी लौट रहा है !!
चितकबरे पोशाक में
सालों बाद अपने गाँव फिर से
गोली जो लगी थी पैर में
वो ज़ख्म भरा नहीं है !!
सोचता है कैसे छिपाना है
हर झूठ जो माँ पकड़ लेती है !!
अगर लंगड़ाते देखती है
तो उसे क्या बताना है ?
गिर गया था, नहीं
चोट लगी थी, नहीं नहीं
मोच आ गया था !!
इसी आपा धापी भीड़ में
सोचते सोचते
एक फौजी लौट रहा है !!
चितकबरे पोशाक में
सालों बाद अपने गाँव फिर से !!
© नवीन किशोर महतो
13 मई 2020
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