गुल्लक
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छोटा था तो क्या हुआ
सारे सपने कैद थे !!
मिट्टी के गुल्लक में
चावानी आठानी के पैसों में
वो बच्चा रोज गिनता था !!
उसके भरने के दिन को
कान से सटाकर सुनता था !!
क्षण छन की आवाज
उसके सारे सपने थिरकने लगते थे !!
गुल्लक के छोटे दरवाजे से निकलता था
दुध, गुड़िया और कपड़े
उसकी सोयी बहन के लिए !!
जिसे पानी पीला कर अक्सर सुला देता था
माँ के काम में जाने के बाद !!
फिर निकालता था
छोटे दरवाजे से
चावल, दाल और रोटियाँ
अपने माता पिता के लिए !!
अपने लिए एक कुदाल
एक अनजान शहर
वो बच्चा रोज गिनता था !!
©नवीन किशोर महतो
14 मई 2020
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