हंसिये का गीत
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पहाड़ की तलहटी में
पीली धान के खेतों से
सर सर सर की आवाज आती है ll
गाँव की महिलाएँ गाती हैं ll
हंसिये का गीत !!
कभी आँखों ने समझी !!
कभी हाथों ने समझी !!
कभी पैरों ने समझी !!
इसका कठिन नृत्य !!
हवा कैसी बह रही,
धूप कितनी तेज है !!
गाँव की महिलाएँ ध्यान नहीं देती !!
अपने धुन से सजाती
पग पग संगीत भरा
हंसिये के गीत से
खेत का हर कोना
फिर क्या होता
यहीं पर सब हँसती
सब गान होता शेष
हंसिये का गीत !!
सर सर की आवाज !!
© नवीन किशोर महतो
29 जनवरी 2020
राँची ( झारखंड )
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