मैं क्या माँगु , माँगता हूँ , तुम्हारी खुशी तुम मेरी हर बात मानो, ये जरूरी नहीं !! सुनो, याद है पिछली दिवाली , वो लम्हा जब हम दोनों के दरमियाँ एक रिश्ता पला था l अगर याद आऊँ तो एक दिया मन में जला देना, मुझे अच्छा लगेगा l मेरा हर शाम जो तुम्हारी यादों के दिये से जगमगाती रहती है, भले ही हवा तूफान बनकर ही क्यों न आए l मैं तुम्हारी यादों को निचोड़ निचोड़ कर हमारी प्रेम के दिये को भिगोता रहता हुँ l एक दिन जब तुम मुझसे मिलने आओगी, उस दिन देखना, मैं तुम्हें वैसा ही मिलूंगा l जैसे तुम मुझे छोड़कर चली गयी थी l तब मैं तुम्हें सबकुछ कह नहीं पाऊँगा, जो मैंने तुम्हारे लिए बचाकर रखा है , "सोनपापरी " जिसे हम दोनों अक्सर खाया करते थे, कुछ बारिश की बूँदें, जिसमें हम दोनों ने अक्सर भीगना चाहा था, कुछ ओस की नमी, जिनके गर्म अहसास हमने अपने अंदर रखा था l इन सब के साथ, वो छोटी चिड़ियां जो तुम्हारी कंधे पर बिट कर दी थी l शायद वो तुमसे नाराज थी, ओर साँझ के बेला की रोशनी, कुछ मंदिर की घंटियों की खनक, कुछ संगीत की आधी अधूरी धुनें, कुछ सिसकती हुई सी आवाजें