सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गहरे शब्द

विरासत

विरासत झकझोर करती  भविष्य भयावह लगती !!  नयी पीढ़ी की गर्म हवायें अनहोनी की दस्तक देती !!  दिखते नहीं बुजुर्गों के फोटो फ्रेम  भरी पड़ी है, अधनंग तस्वीरें दीवारों पर !  आँगन की तुलसी सुखी ! अर्ध्य की पुरानी लोटी डूबी  क्रोध के अग्नि में !  पानी हुआ खून का रिश्ता !  हर तरफ हैं, लोग मौन का चादर ओढ़े !  नयी पीढ़ी की गर्म हवायें !  दस्तक देती अनहोनी की !  खुन से लथपथ हाथों से शांति का पाठ पढ़ाते !  मन में जहर की बोतलें लिए फिरते लोग गली गली !  विरासत झकझोर करती !! भविष्य भयावह लगती !!  नयी पीढ़ी की गर्म हवायें,  अनहोनी की दस्तक देती !!  A secret mountain Boy  © Navinkishor

एक आदिवासी लड़की

आदिवासी लड़की सोचती है ! हांडी माँजते माँजते !! अपने भविष्य के दिनों में ! इस हांडी को कौन माँजेगा !! जिसमें पूरे परिवार का चावल पकता है फिर चुल्हे की राख समेटती है !! और देखती है, अपनी काले हाथों की लकीरों को ! ओर मन ही मन बुदबुदाती है !! हांडी को माँजते माँजते एक आदिवासी लड़की सोचती है !! पलायन की बात अपने मन में शहर की मजदूरी, गाँव से अच्छा है !! गाँव के लोग, शहर से अच्छे हैं  !! असमंजस में पड़ी आदिवासी लड़की सोचती है !! हांडी को माँजते माँजते जंगल में महुआ के पेड़ कट चुके !! कुसुम ओर पलाश की डालियों में अब लाह के कीड़े नहीं बसते, कैसे गुजारा होगा परिवार का उसे डर है, लापता शहर में आदिवासी लड़कियाँ लुप्त हो जाती हैं !! गुमला की माया और खूँटी की सुगनी    शहर में ही लापता हुई थीं ! एक आदिवासी लड़की सोचती है !! A secret mountain boy © Navin kishor

बिखरे हुए हैं, आप अपने घर में

                बिखरे हुए हैं, आप अपने घर में                  

अधूरे शब्द

गाड़ी छूटने वाली है, साँस रुकने वाली है ! लहू-लुहान हुँ मैं ! घायल आत्मा है, किंतु धड़क रहा हुँ मैं ! मेरी आँखों में वो प्यास कहाँ ?? जो नदी की तरह बहती है ! किससे पूछूं, किससे न पूछूं ?? तुम इस समय के लिए हो जरूर ! मगर अफसोस यह समय तुम्हारा नहीं है !! गाड़ी छूटने वाली है, साँस रुकने वाली है !! हमेशा के लिए नष्ट कर दूँ ! तुम्हारी पुरानी पहचान, अब पता चला भोर होने वाली है !! बचा रखा है, कुछ बारिश की बूँदें, कुछ ओस की नमी, कुछ अधूरे शब्द कुछ एहसास, कुछ खामोशी, कुछ दर्द, अब पता चला भोर होने वाली है ! गाड़ी छूटने वाली है, साँस रुकने वाली है !! कैसा उलझन में हुँ, मैं ?? तुम्हारी यही अंश की बात दिल को चुभ जाती है ! मेरी सोच, मेरे एहसास जैसा हवा से, नदी से, आकाश से, मैं तुमसे इतना दूर , तो तुमसे इतनी मिलती क्यों है ?? A SECRET MOUNTAIN BOY ©Navinkishor 

मेरा जीवन

मुझे अपने बचपन के बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं l मुझे याद है, मेरी माँ मुझे बैठाकर बता रही थी, कि हर चीज़ का एक राज होता है  l पहले तो उसे मैं नहीं देख पाया था, लेकिन फिर एक दिन मैंने देखा लोग अपने आस-पास के राज़ पर गौर नहीं करते, जबकि वो ठीक उनके सामने होते हैं l छुपकर ढूंढें जाने का इंतजार करते हैं, सूरज उगने से पहले कितना सन्नाटा होता है l इतनी सुबह मैं बाहर बैठता हुँ, कुछ लिखता हुँ, जैसे कहानियाँ, कविताएँ, बहुत आसान है l पता नहीं मेरे ख्याल से शायद दिन के उस समय में जब सब सो रहे होते हैं l तब मन में बहुत से अच्छे ख्याल आते हैं l ( मेरी डायरी के पन्नों से )

ये दिवाली, यादों वाली

मैं क्या माँगु  , माँगता हूँ , तुम्हारी खुशी तुम मेरी हर बात मानो, ये जरूरी नहीं !! सुनो, याद है पिछली दिवाली , वो लम्हा जब हम दोनों के दरमियाँ एक रिश्ता पला था l अगर याद आऊँ तो एक दिया मन में जला देना, मुझे अच्छा लगेगा l मेरा हर शाम जो तुम्हारी यादों के दिये से जगमगाती  रहती है, भले ही हवा तूफान बनकर ही क्यों न आए l मैं तुम्हारी यादों को निचोड़ निचोड़ कर हमारी प्रेम के दिये को भिगोता रहता हुँ l एक दिन जब तुम मुझसे मिलने आओगी, उस दिन देखना, मैं तुम्हें वैसा ही मिलूंगा l जैसे तुम मुझे छोड़कर चली गयी थी l तब मैं तुम्हें सबकुछ कह नहीं पाऊँगा, जो मैंने तुम्हारे लिए बचाकर रखा है ,  "सोनपापरी  " जिसे हम दोनों अक्सर खाया करते थे,    कुछ बारिश की बूँदें,  जिसमें हम दोनों ने अक्सर भीगना चाहा था, कुछ ओस की नमी, जिनके गर्म अहसास हमने अपने अंदर रखा था l इन सब के साथ, वो छोटी चिड़ियां जो तुम्हारी कंधे पर बिट कर दी थी l शायद वो तुमसे नाराज थी, ओर साँझ के बेला की रोशनी, कुछ मंदिर की घंटियों की खनक,     कुछ संगीत की आधी अधूरी धुनें,                कुछ सिसकती हुई सी आवाजें

मैं एक पहाड़ हुँ |

मैं एक पहाड़ बना रहा !! तुम एक नदी बनी इस तरह हम पहाड़ और नदी दोस्त हुए  !! वक्त ने हमारे बीच से गुजर जाने मंजूर किया !! मेरे सपने पेड़ बन कर उग आए !! वक्त बहता रहा नदी के पानी में घुला हुआ पेड़ों ने अपने झाड़ फैलाए  !! मेरे विचार दूब में बदल गए !! किनारे कुछ फुल खिले !! कुछ दिनों बाद नदी सुख गई मैं पहाड़ हुँ, नदी में देखता रहूँगा अपना चेहरा !! जब तक रेत न बन जाऊँ नदी की !! मुझे पता है, हज़ारों साल लग जाएंगे पर मैं अनंत तक टिका रहूँगा !!

वो पल कैसा होगा ??

कभी कभी सोचता है मन ऐसे ही मुस्कराता भी है, वो पल कैसा होगा ?? जब हम कभी फिर आमने सामने होंगे ! कभी मिले तो तुमसे वो पल कैसा होगा, क्या तुम मुझे देखकर मुस्करा दोगी, या नज़रें फ़ेर लोगी  l मैं तो शायद, कुछ कह भी न पाऊँ, खुद में ही सिमट जाऊँगा, जब तुम सामने आओगे l इतना तो यकीन है, आँखें भर आयेंगी मेरी ! जो बातें कहनी थी शायद न कह पाऊँ, पर तुम समझ लेना, थोड़ा पास आकर दुर कर देना, दुनिया की तरह मतलबी मत निकलना l इस दिमाग को भी अपने मन से मिलने का मन करता है l वो सुबह शाम जो तेरे ही ख़्यालों में डुबा रहता था, इसे फिर से डूबने का मन करेगा, लेकिन डुबने जरूर देना दो आत्मायें जो उन गलियों से होते हुए मंदिर की सीढ़ियों तक जाती है l वहीं बैठकर बातें करेंगे, ईश्वर का दर्शन करेंगे आंखें मिलाकर, झुकाकर नहीं l क्योंकि नजरें शर्मिन्दगी में झुकाई जाती है, और तुम तो हिम्मत हो मेरी, जिन्दगी के सफर में एक अदृश्य सलाहकार, एक संगिनी, जो मुझे अच्छाई ओर बुराई का फर्क़ दिखाती रहती है l परंतु उस समय मेरी आंखें सिर्फ तुम्हें ही देखेगी धुंधली यादों के साथ एक दो बूँद आँसुओं के लुढ़क भी जाए !

फिर चलते हैं ??

तो फिर चलते हैं ,तुम और मैं !!  जब शाम आकाश पर फैली हो चलते हैं, किसी आधी विरान सी गलियों में  जहाँ रास्ता तुम तक जाती है !!  गलियाँ जो पीछा करती है  अब उन्हीं रास्तों में मेरा  हज़ारों सवालों के साथ ?  विचलित कर जाती है  हर एक सवाल ??  ओर गुलाबी धुप जो मेरे पीठ पर पड़ती है !!  मैं सहज ही मंद मुस्कान की चादर से ढक लेता हुँ        वेदना का अथाह समंदर !! सूरज सुन्दर लाल रंग में डुब रहा है !!  मुझे पता है, उन सवालों के जवाब को       मेरे अंतर्मन में रुंद गई  है r />  ओर अब उन रास्तों पर अकेले धीरे धीरे चल रहा हुँ !!

मुझे कुछ कहना था ?

मुझे कुछ कहना था, आपसे ?   मगर कह न सका ! सोचता रहा, समय, स्थान ओर वज़ह तलाशता रहा !  कभी आप मिले तो, चुपचाप खड़ा रहा, बेआवाज़ बोलता रहा ! कभी आप आगे बढ़ गये, कभी शब्द मेरे छोटे पड़ गये ! मैं भी अजीब हुँ, डर डर के आपसे प्यार करता रहा !! बात करने के लिए समय तलाशता रहा ! सोचा था आपसे मिलकर  पुराने दिनों की बातें फिर से करूँ !!  पुराने दिनों की याद दिलाऊं !! मगर जब आपकी आँखों में देखा तो सारे ख्वाब ढह गये !!  आप बस आईना बन कर रह गयी !!  मेरा आवेग, संवेग आपकी याद थी !!  ओर आपका युँ बेरुखीपन  हमें साथ साथ चलने न दिया  एक साथ फिर मिलने न दिया पानी तो पानी ही रहा,  हम अलग अलग द्वीप बनकर रह गये  मेरी मजबूरियाँ भी कुछ कम न थीं, लंगड़े शब्द मेरे अब बोलने में सक्षम नहीं !!  सुना है, जब जुबां साथ नहीं देती है !! आँखें बोलती है ?  बहुत पुकारा बंद आंखों से मगर  आँख खुली तो आप नहीं थे !!  आपके साये मेरे साथ हमेशा के लिए रह गए !! मुझे कुछ कहना था आपसे ?                            मगर कह न सके !!

ब्लॉक लव

मोहब्बत के लिए कोई परिभाषा ली ही नहीं गयी,  क्योंकि ये हर इंसान के लिए अलग अलग होता है,  शायद आपके लिए अलग है, उसके लिए अलग है  दिल में जो एहसास है, वो वैसा ही होता है l  इस कहानी की शुरुआत है, वहीं से जहाँ से जिन्दगी की सबसे खूबसूरत दिन शुरू होते हैं l  हाँ बचपन के दिन, आज सोमवार हैं, न !! हाँ लोग कहते हैं पहला प्यार कभी नहीं भूलते, कितने साल बीत गए, लेकिन उसे अब भी याद है उसने क्या पहना था !!  आज भी जैसे हर रात सोने से पहले उसके प्रोफ़ाइल पिक्चर को देख के सोना, कि इस आशा में आज अनब्लॉक कर दी शायद !!  हाँ, मुझे पता है, जब तुम रात के 1 बजे उसे ऑनलाइन देख, कैसे छटपटाते थे l जैसे कोई शिकारी तीर से चिड़ियाँ को मारने के बाद जमीं पर छटपटाती है l  बस अंतर इतना था, तुम बिस्तर पर थे l लेकिन अंतर्मन में वेदना शायद उससे ज्‍यादा हुआ हो l  आज रात भी सोने से पहले, यही एक सवाल पूछेगा, जो पिछले कई रातों से पूछ रहा है ???? वो खुश तो है, ना !!

वो कौन थी l

ख्याल आते ही, ओर एक ख्याल आया है! सालों से दबी दबी, यादों का एक तूफान आया है! आखिरकार कुछ दिन से उसका इस तरह का बदलाव मुझे सोचने पर मजबूर कर देता था मैंने उसे कितना समझाया ये प्यार व्यार कुछ नहीं होता ये बुखार दो दिन बाद उतर जाता है , हाँ भले किसी किसी का कुछ महीने या फिर बोलो साल तक टिकता हो , मैंने उसे ये भी कहा इस तरह मत रहा करो यार लेकिन वो मेरी कहाँ सुनने वाला था, बीच में टोकते हुए. अबे ऐसे क्यों देखते हो, कोई बिगड़ैल अमीर नहीं हुँ मैं मुझे उससे बहुत शिकायत थी, मैंने तो उसे कह दिया, भैया तुम्हारी आँखें तो बहुत कुछ कहती है, मुझे अभी भी याद है उसका वो दिन प्यार के दिन थे, प्यार का मॉनसून, प्यार की रातें, प्यार की जनवरी, प्यार की सर्दियाँ, यार, कभी कभी लगता था, सर्दियाँ बस आशिकों के लिए बनी है. घंटों गुटूर गुटूर बालकनी के कोनें में किया करता था, है ना अजीब सा मजेदार सा जिन्दगी उसका दो महीना हो गया उसका इसका क्या मतलब है यार, वो बीच बीच में पूछा करता था. जब विश्वास ही न रहे तो रिश्ते बनाए रखने का कोई फायदा नहीं है, उन्हें तोड़ना ही बेहतर है तो हम कब से बात करना बंद कर रहे हैं,और कब स

नयी सुबह

               मुझे नहीं मालुम ये होता कैसे है, बस इतना मालुम है, ये होता है l कोई है, जो वक़्त के दूसरे छोर पर रहता है शायद पहाड़ों पर, या फिर कह लो नदी के किनारे पर बहती है, या फिर बादलों के बीच रहती है l ओर फिर हमारे ही ख्‍यालों में रह कर छुप छुप कर हमसे बहुत कुछ कहती है l जिंदगी में अक्सर हमें  ऐसे सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर देती है l जिसका जवाब हमारे पास नहीं होता, इसलिए जरूरत पड़ने पर, अपने सूझबुझ के हिसाब पर हम उन जवाबों को ढूँढने लगते हैं ! लेकिन कभी कभी ऐसा होता है, कि एक आवाज सुनाई देती है, शायद वो आवाज हमारे अंदर से आती है, या फिर दुर से गूँजती हुई, वक़्त ओर हालातों को चीरती हुई, हमारे सवालों के जवाब के साथ l सुनो एक ओर कोशिश करो !! शायद इस बार हो जाए जिस भी काम को करते हो उसे ख़त्म करो तुम्हें अच्छा लगेगा अक्सर मेरी सबसे प्यारी दोस्त की मीठी आवाज मेरे कानों में गूँजती है , रुक जाना नहीं, तु कहीं हार के !! ओ साथी, ओ साथी !! बेसक ये एक गाना है, लेकिन ये गाना मेरे मन को मजबुत बनाता है l ये बात अलग है कि हमारे हसीं, मुस्कुराते चेहरों के पीछे कई राज छुपे हैं l ©®नवीन

यादों का कोहरा

मेरे प्यारे दोस्तों, बहुत दिनों के बाद आज फिर अपने गाँव के स्कुल में बैठा था l स्कुल जैसे मुझसे कह रहा हो, मैं तुम्हारे बचपन के सभी यादों ओर अनुभवों को जीवंत रखा हुँ, छठवीं कक्षा को ही देख लो, कुछ भी तो नहीं बदला है, दीवारों का रंग भी नहीं बदला है l हाँ, थोड़ा बहुत जंग लगा हुँ l लेकिन दिवालों पर लिखे पहाड़े, जानवरों का चित्र जो मेरे सुंदर सफेद शरीर पर उकेरा हुआ   l अब भी है, देख लो....  तुम गौर से क्या देख रहे हो ? ये तुम्‍हारा ही क्लास है, कुछ याद आया.. आया न.. बहुत गौर से देखो इन बेंचों को तुम्हारा बचपन शायद यहीं से शुरू हुआ था l देखो तुम किसको याद कर रहे हो l हाँ न, मुझसे तुम झूठ नहीं बोल सकते,तुम्हारे बहुत सारे दोस्त जो शायद अब यादों में सिमट के रह गए हैं l कभी मिलो तो उनसे कहना, तुम्हारा छठवीं कक्षा तुम्हें बहुत याद करता है l मुझसे बार बार पूछा करता है l बेंचों के ऊपर से जो दौड़ा करते थे, अब अपने जिन्दगी के दौड़ में कितने आगे निकल गए हैं l अरे हाँ! वो जो कोने में पुराना बेंच है, मुझसे कह रहा था,मेरे पीठ पर अब भी बहुत सारा नाम लिखा हुआ है l जिसे मिटा पाना मुश्किल है l को

पुरानी यादें

दिल क्यों ये मेरा शोर करे l ये गाना मेरी प्ले लिस्ट में है, लेकिन अक्सर मैं इसे सुनता नहीं हुँ, स्कीप कर देता हुँ l उस रात करीब 12 :30 बज रहे थे l. दिमाग में सब धुंधला धुंधला सा था l करीब 9 सालों से उसे जानता था, 6 महीनों से मुझे ये भी पता था, कि उसका बॉयफ्रेंड है, मेरा दिमाग मुझे ये समझा चुका था, कि वो मेरे साथ नहीं हो सकती l क्योंकि जब मैं आँखें बंद करके सोता हुँ l मुझे वो तो नजर आती है, मगर वो आँखें बंद करके सोचती है, तो उसे कोई और नजर आता है वो जो कोई ओर जो शायद बदसलूकी से पेश आता है, या ऐसे जो ढंग से बात भी नहीं करता मगर इस किसी ने उसको सबसे अपना करीबी मान रखा था l ओर ये एक मेरा बावरा सा मन था, जो मेरी कहाँ सुनने वाला था l मैंने मोबाइल उठाया ओर बड़ा सा मैसेज टाइप किया उस मैसेज में मैंने हर एक चीज बतायी उसके बारे में जो मुझे अच्छी लगती थी, उसकी बातें, उसका मुस्कुराना, उसका झल्लाना, हर एक चीज जो मुझे दीवाना कर जाती थी, उसके बारे में मैंने उसे ये भी बताया कि कैसे वो बातों ही बातों में मुझे बेखौफ डांट देती है न ओर फिर बिना कुछ कहे ही बस मनाने में लग जाती है, तो मुझे अच्छा लगता है l एक