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पुरानी यादें

दिल क्यों ये मेरा शोर करे l ये गाना मेरी प्ले लिस्ट में है, लेकिन अक्सर मैं इसे सुनता नहीं हुँ, स्कीप कर देता हुँ l उस रात करीब 12 :30 बज रहे थे l. दिमाग में सब धुंधला धुंधला सा था l करीब 9 सालों से उसे जानता था, 6 महीनों से मुझे ये भी पता था, कि उसका बॉयफ्रेंड है, मेरा दिमाग मुझे ये समझा चुका था, कि वो मेरे साथ नहीं हो सकती l क्योंकि जब मैं आँखें बंद करके सोता हुँ l मुझे वो तो नजर आती है, मगर वो आँखें बंद करके सोचती है, तो उसे कोई और नजर आता है वो जो कोई ओर जो शायद बदसलूकी से पेश आता है, या ऐसे जो ढंग से बात भी नहीं करता मगर इस किसी ने उसको सबसे अपना करीबी मान रखा था l ओर ये एक मेरा बावरा सा मन था, जो मेरी कहाँ सुनने वाला था l मैंने मोबाइल उठाया ओर बड़ा सा मैसेज टाइप किया उस मैसेज में मैंने हर एक चीज बतायी उसके बारे में जो मुझे अच्छी लगती थी, उसकी बातें, उसका मुस्कुराना, उसका झल्लाना, हर एक चीज जो मुझे दीवाना कर जाती थी, उसके बारे में मैंने उसे ये भी बताया कि कैसे वो बातों ही बातों में मुझे बेखौफ डांट देती है न ओर फिर बिना कुछ कहे ही बस मनाने में लग जाती है, तो मुझे अच्छा लगता है l एक बार जो मुझे उसने बड़ा हक जताते हुए बताया था, कि सुनो तुम्हें जो भी लड़की पसंद आएगी न पहले तुम उसके बारे में मुझे बताओगे अगर मुझे वो ठीक लगेगी तो आगे जाकर बात बढ़ेगी l तो मैंने उस रात बता दिया कि यार तुम ही पसंद आ गयी हो बताओ अब मैं क्या करूँ l रात भर एक दूसरे के जो भी बातें हैं, कह देंगे l कल सुबह होते ही हम एक दूसरे को भूलने में लग जाएंगे l बस रह जाएगी तो friendship day का दिया हुआ, तुम्हारा फ्रेंडशिप बैंड खट्टी- मीठी यादों को लिए हुए l


©® नवीन किशोर महतो 

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पहाड़ी गीत

 पहाड़ी गीत  __________________________________________ ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!.  जब बर्फ पेड़ों पर सिमटती है   सर्द हवाएँ रोंगटे खड़ी करती है   नदी की धाराएँ जब जम जाती है !!   ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!   छोटे कद का पहाड़ी  भेड़ों को सुनाता है, अपना गीत तुम पत्थर चरना भी सीख लो हरी हरी घास हमेशा नहीं रहेंगी !! खोज लो पहाड़ पर शिलाजीत बंदरों के जैसे !!  ताकि भुख निगल न जाए    जो ठंड से बचाते आया है  अफसोस भुख भी बचा पाता  मैं सुना रहा हुँ !!  आखिरी गीत इस पहाड़ पर   फिर हरी घास उगे न उगे !!   भुख का ग्रहण गहरा रहा है   जाने किस दिन पहाड़ ग्रास कर जाए  फिर तुम रहोगे न मैं रहूँगा !!  बचा रहेगा ये पथरीली सड़क  जो कभी पहाड़ हुआ करता था !!  मेरे पहाड़ी गीत  जो तुम्हारे ऊनी बालों के साथ  उड़ता रहेगा सर्द हवाओं में  तब मुझे दोष मत देना  इससे पहले कुछ बताया नहीं  शायद सुनने और सुनाने के लिए  मैं भी न रहूँ !!  तुम भी न रहो !!  ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!. © नवीन किशोर महतो      2 जनवरी 2021