सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ये दिवाली, यादों वाली

मैं क्या माँगु  ,
माँगता हूँ , तुम्हारी खुशी
तुम मेरी हर बात मानो, ये जरूरी नहीं !!
सुनो, याद है पिछली दिवाली , वो लम्हा जब हम दोनों के दरमियाँ एक रिश्ता पला था l

अगर याद आऊँ तो एक दिया मन में जला देना, मुझे अच्छा लगेगा l
मेरा हर शाम जो तुम्हारी यादों के दिये से जगमगाती  रहती है, भले ही हवा तूफान बनकर ही क्यों न आए l मैं तुम्हारी यादों को निचोड़ निचोड़ कर हमारी प्रेम के दिये को भिगोता रहता हुँ l एक दिन जब तुम मुझसे मिलने आओगी, उस दिन देखना, मैं तुम्हें वैसा ही मिलूंगा l
जैसे तुम मुझे छोड़कर चली गयी थी l
तब मैं तुम्हें सबकुछ कह नहीं पाऊँगा, जो मैंने तुम्हारे लिए बचाकर रखा है ,  "सोनपापरी  "
जिसे हम दोनों अक्सर खाया करते थे,
   कुछ बारिश की बूँदें,  जिसमें हम दोनों ने अक्सर भीगना चाहा था, कुछ ओस की नमी,
जिनके गर्म अहसास हमने अपने अंदर रखा था l
इन सब के साथ, वो छोटी चिड़ियां जो तुम्हारी कंधे पर बिट कर दी थी l
शायद वो तुमसे नाराज थी, ओर साँझ के बेला की रोशनी, कुछ मंदिर की घंटियों की खनक,
    कुछ संगीत की आधी अधूरी धुनें,
               कुछ सिसकती हुई सी आवाजें,
कुछ ठहरे हुए से कदम,
              कुछ आँसुओं की बूँदें ,
कुछ  उखड़ी हुई सी साँसें,
                        कुछ अधूरे शब्द
        कुछ अहसास,
                     कुछ ख़ामोशियाँ,
    कुछ दर्द,
ये सब कुछ बचाकर रखा है, मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए, मुझे पता है, एक दिन तुम मुझसे मिलने जरूर आओगी l
लेकिन तुम खामोशी के साथ आना, थोड़ा अपनी जुल्फों को खुला रखना, लेकिन मेरा नाम न लेना, मैं तुम्हें वो सबकुछ दे दूँगा, जो मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए बचा के रखा है l
लेकिन जब मुझे छोड़कर जाओगी तो मेरी आत्मा को साथ लेते जाना, किसी ओर जन्म के लिए.....
दिवाली की शाम  हमारी यादों का एक दिया जरूर जला देना, मुझे अच्छा लगेगा ll

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कोरसोंग

हमलोग हैं पश्चिम बंगाल के बहुत ही सुंदर स्थान पर प्रकृति के गोद मेंं बसा छोटा सा जगह कोरसोंग का डॉल हिल स्टेशन !!  ये भारत का सबसे डरावनी जगह के रूप में जाना जाता है l कहानी अपने आप नहीं बनती है, हर कहानी में एक किरदार छिपा होता है !!  पर्दे के पीछे या फिर सामने खड़ा होता है !! हम पहचान नहीं पाते, उस रात बारिश बहुत तेज हो रही थी l जैसे अभी आसमान फटकर जमीन पर गिर जाएगा !!  बिजली की तेज चमक किसी तीव्र ज्वालामुखी की तरह अचानक चमक उठता, फिर शांत हो जा रहा था !!  मैंने कहा था,             आज निकलना सही नहीं है !!  अब देखो इस जंगल के विरान से रेस्ट हाउस में रात बिताना पड़ रहा है l यहाँ से कितना दुर होगा सिलीगुड़ी गूगल मैप में देखो न फालतु इस जगह पर ठहरें हैं जैसा लग रहा है l अबे, राकेश यहाँ से एक घंटा का रास्ता है, चलो निकलते हैं !!  मैंने सुना है, कोरसोंग भारत का सबसे भुतहा रोड है, यहाँ पर एक सिर कटा बच्चा रात में निकलता है !  बहुत सारे लोग मारे भी गए हैं l अबे तुम तो बेकार टेंशन लेते हो !!  राकेश झुंझला कर बोलने लगा......  इतने में विकास यू ट्यूब में कोरसोंग पर हुए घटन

कहानी हमारे भीतर होती है |

कुछ रास्ते ऐसे होते हैं, जिन पर पैदल चलना अच्छा लगता है, मुझे लगता है, रास्ता हमेशा चलने के लिए बनाया जाता है l सड़क कभी खत्म नहीं होते उनके साथ जुड़ते जाते हैं, कई छोटे छोटे सड़क !! खासकर उन लोगों को जिन्हें लिखना पसंद है, कहानी के अंत में बैठ कर सुस्ताना सड़क हो जाने जैसा है l मुझे किसी भी सड़क का अंत नहीं दिखता, मैं हर तरफ चलने लगता हूँ, और एक नया सड़क बनकर तैयार हो जाता है l जब मैं सड़क पार करता हूँ, रुक कर जिंदगी के रफ्तार को गाड़ियों में देखता हुँ l मुझे समझ नहीं आता, लोग भाग रहे हैं या फिर गाड़ी !! सड़क पार करना अपने अतीत से दुर भागना या अतीत को रास्ता दिखाने जैसा होता है l ताकि अपना अतीत किसी दूसरे व्यक्ति के साथ चिपक कर निकल जाए l कई कहानी बीच रास्ते में दम तोड़ लेती है , जिन्हें सुरक्षित घर पहुँचना था l मैं पैदल चलते हुए उन सभी कहानियों को अपने साथ लेकर चल रहा हूँ l "सड़क के अंतिम छोर में मेरी सभी कहानियाँ कविताओं में बदल जाएगी अपने अतीत का परछाई पानी में साफ साफ दिखता है l पानी का कोई रंग नहीं होता लेकिन बिता कल गहरा रंग छोड़ता है l कैसे एक वक्त का पत्त

पहाड़ी गीत

 पहाड़ी गीत  __________________________________________ ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!.  जब बर्फ पेड़ों पर सिमटती है   सर्द हवाएँ रोंगटे खड़ी करती है   नदी की धाराएँ जब जम जाती है !!   ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!   छोटे कद का पहाड़ी  भेड़ों को सुनाता है, अपना गीत तुम पत्थर चरना भी सीख लो हरी हरी घास हमेशा नहीं रहेंगी !! खोज लो पहाड़ पर शिलाजीत बंदरों के जैसे !!  ताकि भुख निगल न जाए    जो ठंड से बचाते आया है  अफसोस भुख भी बचा पाता  मैं सुना रहा हुँ !!  आखिरी गीत इस पहाड़ पर   फिर हरी घास उगे न उगे !!   भुख का ग्रहण गहरा रहा है   जाने किस दिन पहाड़ ग्रास कर जाए  फिर तुम रहोगे न मैं रहूँगा !!  बचा रहेगा ये पथरीली सड़क  जो कभी पहाड़ हुआ करता था !!  मेरे पहाड़ी गीत  जो तुम्हारे ऊनी बालों के साथ  उड़ता रहेगा सर्द हवाओं में  तब मुझे दोष मत देना  इससे पहले कुछ बताया नहीं  शायद सुनने और सुनाने के लिए  मैं भी न रहूँ !!  तुम भी न रहो !!  ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!. © नवीन किशोर महतो      2 जनवरी 2021