मैं एक पहाड़ बना रहा !!
तुम एक नदी बनी
इस तरह हम पहाड़ और नदी दोस्त हुए !!
वक्त ने हमारे बीच से गुजर जाने मंजूर किया !!
मेरे सपने पेड़ बन कर उग आए !!
वक्त बहता रहा नदी के पानी में घुला हुआ
पेड़ों ने अपने झाड़ फैलाए !!
मेरे विचार दूब में बदल गए !!
किनारे कुछ फुल खिले !!
कुछ दिनों बाद नदी सुख गई
मैं पहाड़ हुँ, नदी में देखता रहूँगा अपना चेहरा !!
जब तक रेत न बन जाऊँ नदी की !!
मुझे पता है, हज़ारों साल लग जाएंगे
पर मैं अनंत तक टिका रहूँगा !!
तुम एक नदी बनी
इस तरह हम पहाड़ और नदी दोस्त हुए !!
वक्त ने हमारे बीच से गुजर जाने मंजूर किया !!
मेरे सपने पेड़ बन कर उग आए !!
वक्त बहता रहा नदी के पानी में घुला हुआ
पेड़ों ने अपने झाड़ फैलाए !!
मेरे विचार दूब में बदल गए !!
किनारे कुछ फुल खिले !!
कुछ दिनों बाद नदी सुख गई
मैं पहाड़ हुँ, नदी में देखता रहूँगा अपना चेहरा !!
जब तक रेत न बन जाऊँ नदी की !!
मुझे पता है, हज़ारों साल लग जाएंगे
पर मैं अनंत तक टिका रहूँगा !!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें