मुझे कुछ कहना था, आपसे ?
मगर कह न सका ! सोचता रहा,
समय, स्थान ओर वज़ह तलाशता रहा !
कभी आप मिले तो, चुपचाप खड़ा रहा,
बेआवाज़ बोलता रहा ! कभी आप आगे बढ़ गये,
कभी शब्द मेरे छोटे पड़ गये !
मैं भी अजीब हुँ, डर डर के आपसे प्यार करता रहा !! बात करने के लिए समय तलाशता रहा !
सोचा था आपसे मिलकर
पुराने दिनों की बातें फिर से करूँ !!
पुराने दिनों की याद दिलाऊं !!
मगर जब आपकी आँखों में देखा तो सारे
ख्वाब ढह गये !!
आप बस आईना बन कर रह गयी !!
मेरा आवेग, संवेग आपकी याद थी !!
ओर आपका युँ बेरुखीपन
हमें साथ साथ चलने न दिया
एक साथ फिर मिलने न दिया
पानी तो पानी ही रहा,
हम अलग अलग द्वीप बनकर रह गये
मेरी मजबूरियाँ भी कुछ कम न थीं,
लंगड़े शब्द मेरे अब बोलने में सक्षम नहीं !!
सुना है, जब जुबां साथ नहीं देती है !!
आँखें बोलती है ?
बहुत पुकारा बंद आंखों से मगर
आँख खुली तो आप नहीं थे !!
आपके साये मेरे साथ हमेशा के लिए रह गए !! मुझे कुछ कहना था आपसे ?
मगर कह न सके !!
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