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अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये दिवाली, यादों वाली

मैं क्या माँगु  , माँगता हूँ , तुम्हारी खुशी तुम मेरी हर बात मानो, ये जरूरी नहीं !! सुनो, याद है पिछली दिवाली , वो लम्हा जब हम दोनों के दरमियाँ एक रिश्ता पला था l अगर याद आऊँ तो एक दिया मन में जला देना, मुझे अच्छा लगेगा l मेरा हर शाम जो तुम्हारी यादों के दिये से जगमगाती  रहती है, भले ही हवा तूफान बनकर ही क्यों न आए l मैं तुम्हारी यादों को निचोड़ निचोड़ कर हमारी प्रेम के दिये को भिगोता रहता हुँ l एक दिन जब तुम मुझसे मिलने आओगी, उस दिन देखना, मैं तुम्हें वैसा ही मिलूंगा l जैसे तुम मुझे छोड़कर चली गयी थी l तब मैं तुम्हें सबकुछ कह नहीं पाऊँगा, जो मैंने तुम्हारे लिए बचाकर रखा है ,  "सोनपापरी  " जिसे हम दोनों अक्सर खाया करते थे,    कुछ बारिश की बूँदें,  जिसमें हम दोनों ने अक्सर भीगना चाहा था, कुछ ओस की नमी, जिनके गर्म अहसास हमने अपने अंदर रखा था l इन सब के साथ, वो छोटी चिड़ियां जो तुम्हारी कंधे पर बिट कर दी थी l शायद वो तुमसे नाराज थी, ओर साँझ के बेला की रोशनी, कुछ मंदिर की घंटियों की खनक,     कुछ संगीत की आधी अधूरी धुनें,                कुछ सिसकती हुई सी आवाजें

मैं एक पहाड़ हुँ |

मैं एक पहाड़ बना रहा !! तुम एक नदी बनी इस तरह हम पहाड़ और नदी दोस्त हुए  !! वक्त ने हमारे बीच से गुजर जाने मंजूर किया !! मेरे सपने पेड़ बन कर उग आए !! वक्त बहता रहा नदी के पानी में घुला हुआ पेड़ों ने अपने झाड़ फैलाए  !! मेरे विचार दूब में बदल गए !! किनारे कुछ फुल खिले !! कुछ दिनों बाद नदी सुख गई मैं पहाड़ हुँ, नदी में देखता रहूँगा अपना चेहरा !! जब तक रेत न बन जाऊँ नदी की !! मुझे पता है, हज़ारों साल लग जाएंगे पर मैं अनंत तक टिका रहूँगा !!

वो पल कैसा होगा ??

कभी कभी सोचता है मन ऐसे ही मुस्कराता भी है, वो पल कैसा होगा ?? जब हम कभी फिर आमने सामने होंगे ! कभी मिले तो तुमसे वो पल कैसा होगा, क्या तुम मुझे देखकर मुस्करा दोगी, या नज़रें फ़ेर लोगी  l मैं तो शायद, कुछ कह भी न पाऊँ, खुद में ही सिमट जाऊँगा, जब तुम सामने आओगे l इतना तो यकीन है, आँखें भर आयेंगी मेरी ! जो बातें कहनी थी शायद न कह पाऊँ, पर तुम समझ लेना, थोड़ा पास आकर दुर कर देना, दुनिया की तरह मतलबी मत निकलना l इस दिमाग को भी अपने मन से मिलने का मन करता है l वो सुबह शाम जो तेरे ही ख़्यालों में डुबा रहता था, इसे फिर से डूबने का मन करेगा, लेकिन डुबने जरूर देना दो आत्मायें जो उन गलियों से होते हुए मंदिर की सीढ़ियों तक जाती है l वहीं बैठकर बातें करेंगे, ईश्वर का दर्शन करेंगे आंखें मिलाकर, झुकाकर नहीं l क्योंकि नजरें शर्मिन्दगी में झुकाई जाती है, और तुम तो हिम्मत हो मेरी, जिन्दगी के सफर में एक अदृश्य सलाहकार, एक संगिनी, जो मुझे अच्छाई ओर बुराई का फर्क़ दिखाती रहती है l परंतु उस समय मेरी आंखें सिर्फ तुम्हें ही देखेगी धुंधली यादों के साथ एक दो बूँद आँसुओं के लुढ़क भी जाए !

फिर चलते हैं ??

तो फिर चलते हैं ,तुम और मैं !!  जब शाम आकाश पर फैली हो चलते हैं, किसी आधी विरान सी गलियों में  जहाँ रास्ता तुम तक जाती है !!  गलियाँ जो पीछा करती है  अब उन्हीं रास्तों में मेरा  हज़ारों सवालों के साथ ?  विचलित कर जाती है  हर एक सवाल ??  ओर गुलाबी धुप जो मेरे पीठ पर पड़ती है !!  मैं सहज ही मंद मुस्कान की चादर से ढक लेता हुँ        वेदना का अथाह समंदर !! सूरज सुन्दर लाल रंग में डुब रहा है !!  मुझे पता है, उन सवालों के जवाब को       मेरे अंतर्मन में रुंद गई  है r />  ओर अब उन रास्तों पर अकेले धीरे धीरे चल रहा हुँ !!

मुझे कुछ कहना था ?

मुझे कुछ कहना था, आपसे ?   मगर कह न सका ! सोचता रहा, समय, स्थान ओर वज़ह तलाशता रहा !  कभी आप मिले तो, चुपचाप खड़ा रहा, बेआवाज़ बोलता रहा ! कभी आप आगे बढ़ गये, कभी शब्द मेरे छोटे पड़ गये ! मैं भी अजीब हुँ, डर डर के आपसे प्यार करता रहा !! बात करने के लिए समय तलाशता रहा ! सोचा था आपसे मिलकर  पुराने दिनों की बातें फिर से करूँ !!  पुराने दिनों की याद दिलाऊं !! मगर जब आपकी आँखों में देखा तो सारे ख्वाब ढह गये !!  आप बस आईना बन कर रह गयी !!  मेरा आवेग, संवेग आपकी याद थी !!  ओर आपका युँ बेरुखीपन  हमें साथ साथ चलने न दिया  एक साथ फिर मिलने न दिया पानी तो पानी ही रहा,  हम अलग अलग द्वीप बनकर रह गये  मेरी मजबूरियाँ भी कुछ कम न थीं, लंगड़े शब्द मेरे अब बोलने में सक्षम नहीं !!  सुना है, जब जुबां साथ नहीं देती है !! आँखें बोलती है ?  बहुत पुकारा बंद आंखों से मगर  आँख खुली तो आप नहीं थे !!  आपके साये मेरे साथ हमेशा के लिए रह गए !! मुझे कुछ कहना था आपसे ?                            मगर कह न सके !!

ब्लॉक लव

मोहब्बत के लिए कोई परिभाषा ली ही नहीं गयी,  क्योंकि ये हर इंसान के लिए अलग अलग होता है,  शायद आपके लिए अलग है, उसके लिए अलग है  दिल में जो एहसास है, वो वैसा ही होता है l  इस कहानी की शुरुआत है, वहीं से जहाँ से जिन्दगी की सबसे खूबसूरत दिन शुरू होते हैं l  हाँ बचपन के दिन, आज सोमवार हैं, न !! हाँ लोग कहते हैं पहला प्यार कभी नहीं भूलते, कितने साल बीत गए, लेकिन उसे अब भी याद है उसने क्या पहना था !!  आज भी जैसे हर रात सोने से पहले उसके प्रोफ़ाइल पिक्चर को देख के सोना, कि इस आशा में आज अनब्लॉक कर दी शायद !!  हाँ, मुझे पता है, जब तुम रात के 1 बजे उसे ऑनलाइन देख, कैसे छटपटाते थे l जैसे कोई शिकारी तीर से चिड़ियाँ को मारने के बाद जमीं पर छटपटाती है l  बस अंतर इतना था, तुम बिस्तर पर थे l लेकिन अंतर्मन में वेदना शायद उससे ज्‍यादा हुआ हो l  आज रात भी सोने से पहले, यही एक सवाल पूछेगा, जो पिछले कई रातों से पूछ रहा है ???? वो खुश तो है, ना !!