ख्याल आते ही, ओर एक ख्याल आया है! सालों से दबी दबी, यादों का एक तूफान आया है! आखिरकार कुछ दिन से उसका इस तरह का बदलाव मुझे सोचने पर मजबूर कर देता था मैंने उसे कितना समझाया ये प्यार व्यार कुछ नहीं होता ये बुखार दो दिन बाद उतर जाता है , हाँ भले किसी किसी का कुछ महीने या फिर बोलो साल तक टिकता हो , मैंने उसे ये भी कहा इस तरह मत रहा करो यार लेकिन वो मेरी कहाँ सुनने वाला था, बीच में टोकते हुए. अबे ऐसे क्यों देखते हो, कोई बिगड़ैल अमीर नहीं हुँ मैं मुझे उससे बहुत शिकायत थी, मैंने तो उसे कह दिया, भैया तुम्हारी आँखें तो बहुत कुछ कहती है, मुझे अभी भी याद है उसका वो दिन प्यार के दिन थे, प्यार का मॉनसून, प्यार की रातें, प्यार की जनवरी, प्यार की सर्दियाँ, यार, कभी कभी लगता था, सर्दियाँ बस आशिकों के लिए बनी है. घंटों गुटूर गुटूर बालकनी के कोनें में किया करता था, है ना अजीब सा मजेदार सा जिन्दगी उसका दो महीना हो गया उसका इसका क्या मतलब है यार, वो बीच बीच में पूछा करता था. जब विश्वास ही न रहे तो रिश्ते बनाए रखने का कोई फायदा नहीं है, उन्हें तोड़ना ही बेहतर है तो हम कब से बात करना बंद कर रहे हैं,और कब स