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कहानी हमारे भीतर होती है |

कुछ रास्ते ऐसे होते हैं, जिन पर पैदल चलना अच्छा लगता है, मुझे लगता है, रास्ता हमेशा चलने के लिए बनाया जाता है l सड़क कभी खत्म नहीं होते उनके साथ जुड़ते जाते हैं, कई छोटे छोटे सड़क !! खासकर उन लोगों को जिन्हें लिखना पसंद है, कहानी के अंत में बैठ कर सुस्ताना सड़क हो जाने जैसा है l मुझे किसी भी सड़क का अंत नहीं दिखता, मैं हर तरफ चलने लगता हूँ, और एक नया सड़क बनकर तैयार हो जाता है l जब मैं सड़क पार करता हूँ, रुक कर जिंदगी के रफ्तार को गाड़ियों में देखता हुँ l मुझे समझ नहीं आता, लोग भाग रहे हैं या फिर गाड़ी !! सड़क पार करना अपने अतीत से दुर भागना या अतीत को रास्ता दिखाने जैसा होता है l ताकि अपना अतीत किसी दूसरे व्यक्ति के साथ चिपक कर निकल जाए l कई कहानी बीच रास्ते में दम तोड़ लेती है , जिन्हें सुरक्षित घर पहुँचना था l मैं पैदल चलते हुए उन सभी कहानियों को अपने साथ लेकर चल रहा हूँ l "सड़क के अंतिम छोर में मेरी सभी कहानियाँ कविताओं में बदल जाएगी अपने अतीत का परछाई पानी में साफ साफ दिखता है l पानी का कोई रंग नहीं होता लेकिन बिता कल गहरा रंग छोड़ता है l कैसे एक वक्त का पत्त
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ललकार

ललकार  ------------------------------------------------------------------- जंगली जानवर गाँव आ रहे हैं !!  कल सुना मैंने खुंखार भेड़िये आँगन में गुर्रा रहे थे !!  वर्षों पहले खिंची सीमा की लकीर तोड़  जंगली जानवर गाँव आ रहे हैं !!  झरना सुखी पड़ी है !!  जहाँ बाघ और हिरन एक घाट में पानी पिया करते थे !!  कल देखा मैंने  मुर्दा बन लटके चमगादड़ पेड़ों पर !!  आगे बढ़ा सुन ठक ठक की आवाज  सोचा कठफड़वे का दर्शन करता चलूँ !  देख रह गया स्तब्ध !!  कठफड़वे के शक़्ल में इंसान थे !!  आगे बढ़ा घने जंगल की ओर  कुछ आवाजें भयभीत कर रहीं थीं !!  खरगोश बैठे थे मौन व्रत लिए  सियार सभा को संबोधित कर रहे थे !!  जंगल का राजा सिंह नहीं दिखा  शायद चिड़ियाघर में कैद हो !!  हाथी सिंहासन पर बैठ चिंघाड़ रहे थे !!  शंख की ध्वनि बजती हो, जैसे रण में  भागा-भागा आया गाँव !!  सुनाई मैंने कथा वृतांत !!  लोग मेरी बातें सुन हँस रहे थे !!  कल सुना मैंने जंगली जानवर गाँव आ रहे हैं  !!   © नवीन किशोर महतो        3/12/ 2016   

पहाड़ी गीत

 पहाड़ी गीत  __________________________________________ ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!.  जब बर्फ पेड़ों पर सिमटती है   सर्द हवाएँ रोंगटे खड़ी करती है   नदी की धाराएँ जब जम जाती है !!   ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!   छोटे कद का पहाड़ी  भेड़ों को सुनाता है, अपना गीत तुम पत्थर चरना भी सीख लो हरी हरी घास हमेशा नहीं रहेंगी !! खोज लो पहाड़ पर शिलाजीत बंदरों के जैसे !!  ताकि भुख निगल न जाए    जो ठंड से बचाते आया है  अफसोस भुख भी बचा पाता  मैं सुना रहा हुँ !!  आखिरी गीत इस पहाड़ पर   फिर हरी घास उगे न उगे !!   भुख का ग्रहण गहरा रहा है   जाने किस दिन पहाड़ ग्रास कर जाए  फिर तुम रहोगे न मैं रहूँगा !!  बचा रहेगा ये पथरीली सड़क  जो कभी पहाड़ हुआ करता था !!  मेरे पहाड़ी गीत  जो तुम्हारे ऊनी बालों के साथ  उड़ता रहेगा सर्द हवाओं में  तब मुझे दोष मत देना  इससे पहले कुछ बताया नहीं  शायद सुनने और सुनाने के लिए  मैं भी न रहूँ !!  तुम भी न रहो !!  ऊँची चोटी पर बैठा  पहाड़ी गीत गाता है !!. © नवीन किशोर महतो      2 जनवरी 2021

हृदय के टुकड़े

मेरे हृदय के इतने टुकड़े हुए !!       फिर जोड़ न पाया    प्रेमिका नहीं पत्नी कहा     हम साथ जिएंगे वादा किया !!         अब कैसे दे दूँ ?    अपना दिल किसी ओर को       किसी लड़की को देख     मेरा दिल नहीं धड़कता   एक मौन उदासी का छा जाता है  मुझे नहीं पता सुन्दरता का रहस्य      मुझे महसुस नहीं होता !!  तुमसे सुन्दर, सुशील देखना भी नहीं चाहता              अगर कोई है !!          उसे देखने से पहले      मेरी आँखें अंधी हो जाए !!  मैं बंद आँखों से जीवनभर प्रतीक्षा करता रहूँगा        किसी पर्वत की तरह    जब तुम गुजरो रास्ते में कभी          दुर से निहारता रहूँ !!  ©नवीन किशोर महतो     17 /09/2020

मौन का खिड़की

तुमने एक दिन कहा था !! पुजा करते रहना,  दुआ माँगते रहना  !!  हम जरूर मिलेंगे, भगवान हमारे साथ हैं  !!  प्रेम की धागा में हम दोनों साथ बंधे थे  मैं आज बँधा अकेला हुँ !!  वो धागा कितनी मजबूत  थी !!  हम बाँध चले  ईश्वर  थे  !!  मैं आज बँधा अकेला हुँ !!  दुआओं ने मेरी एक न सुनी  रोया भी मैंने गिड़गिड़ाया भी  क्या हो सकता है ?  ईश्वर इतना कठोर !!  तो प्रेम की परिभाषा क्या होगी  !!  अब कहूँ,  ईश्वर नहीं होते,  भगवान नहीं होते  !!  इसमें बुरा क्या है  !!  हाँ, अब मैं नास्तिक हुँ  !!  मैं मंदिर नहीं जाता,  टूटते तारे नहीं देखता  बादलों सा उमड़ते  दुआओं को दबा देना चाहता हुँ !!  अपने ही मन में   !!  आँखों से बहा देना  चाहता हुँ,  किसी सूने रेगिस्तान में पानी  मैं मौन खिड़की से देख रहा हुँ  !!  एक कबूतर के  दो जोड़े  चोंच से चोंच मिलाते !!  गले से गले मिलाते !!  अचानक डाली हिला पेड़ का  दोनों उड़े आकाश में    मैंने बंद किया !!  धीरे से खिड़की मौन का  हँसने लगा देख धोखा दिल का !!  ©नवीन किशोर महतो   11/09/2020

अधुरे शब्द

अतीत में कितना अजीब होता है, वो पल जब दोनों साथ जिए जाते हैं, तब अगर बेहद खुशनुमा हो अगर याद बन जाए तो अक्सर तकलीफ दे जाती है l वहीं बीते वक्त में की गई नादानीयाँ मुस्कराने की वज़ह बन जाती है l पर प्रेम में बिछड़ने वालों के लिए अतीत से बुरी शायद कोई चीज़ नहीं है l अक्सर वो यही चाहता है, काश कुछ ऐसा हो जाए जिनसे वो अपनी यादों में से उन लम्हों को निकाल दे, पर कुछ लोगों के लिए वही यादें जीने की वज़ह बन जाती है l उसने भी अपनी यादों को जीने की वज़ह बना लिया था l अतीत कभी इंसान का पीछा नहीं छोड़ता खासकर तब जब चोट गहरी लगी हो l अक्सर ऐसा होता है, जब हम किसी के प्यार की कहानी सुनते हैं,चाहे वो फिल्म, कहानी में ही क्यों न हो l कोई एक ऐसा किरदार अपनी जिंदगी में छाप छोड़ जाता है l वो इंसान उस वक्त याद आता है l मेरे लिए ये महज कहानी है,  लेकिन इस कहानी में तुम्हारे लिए अनजान शब्द का इस्तेमाल करना बेमानी होगा l तुम ही कहो जिस्म की बात मैं नहीं करता ये ओछी बात होगी, मैं ये कभी चाहता भी नहीं था, हमारा कोई जिस्मानी सम्बंध हो ll तुम तो आत्मा में समा चुकी हो, मैं तुम्हें अनजान नहीं कह सकता हुँ ll ले

कोरसोंग

हमलोग हैं पश्चिम बंगाल के बहुत ही सुंदर स्थान पर प्रकृति के गोद मेंं बसा छोटा सा जगह कोरसोंग का डॉल हिल स्टेशन !!  ये भारत का सबसे डरावनी जगह के रूप में जाना जाता है l कहानी अपने आप नहीं बनती है, हर कहानी में एक किरदार छिपा होता है !!  पर्दे के पीछे या फिर सामने खड़ा होता है !! हम पहचान नहीं पाते, उस रात बारिश बहुत तेज हो रही थी l जैसे अभी आसमान फटकर जमीन पर गिर जाएगा !!  बिजली की तेज चमक किसी तीव्र ज्वालामुखी की तरह अचानक चमक उठता, फिर शांत हो जा रहा था !!  मैंने कहा था,             आज निकलना सही नहीं है !!  अब देखो इस जंगल के विरान से रेस्ट हाउस में रात बिताना पड़ रहा है l यहाँ से कितना दुर होगा सिलीगुड़ी गूगल मैप में देखो न फालतु इस जगह पर ठहरें हैं जैसा लग रहा है l अबे, राकेश यहाँ से एक घंटा का रास्ता है, चलो निकलते हैं !!  मैंने सुना है, कोरसोंग भारत का सबसे भुतहा रोड है, यहाँ पर एक सिर कटा बच्चा रात में निकलता है !  बहुत सारे लोग मारे भी गए हैं l अबे तुम तो बेकार टेंशन लेते हो !!  राकेश झुंझला कर बोलने लगा......  इतने में विकास यू ट्यूब में कोरसोंग पर हुए घटन