बंद घरों की खिड़कियाँ
आवाज करती है !!
कोई था इस घर में बसेरा
उड़ा कर गया तिनका तिनका
ये कहती है !!
बंद घरों की खिड़कियाँ
आवाज करती है !!
सुने कौन घरों की सिसकियाँ
हवाओं ने अपना रुख बदला
दीवारों ने अपनी कान !!
पतझड़ है रिश्तों के मौसम में
हादसे दिलों में हुए
ठिकाने लोग बदले !!
अब मकान तेरा पुराना हुआ
फिर से नया बनाना होगा !!
मिट्टी के गारे नहीं
सोने का परत चढ़ाना होगा !!
होगा एक नया सबेरा
होगा एक नया बसेरा
ये घर, तेरा घर न रहा
अब किसी और का मकान है
उसे ये बतलाना होगा !!
खिड़कियाँ बदल दी गई है
अब अंदर से बाहर दिखता है
लेकिन बाहर से अंदर नहीं दिखता !!
ऐ अजनबी,
ये किसी भी नजर से तेरा घर नहीं दिखता !!
© नवीन किशोर महतो
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